तन्हा तन्हा

शहर में किसका चर्चा है
कौन यहाँ से गुजरा है

उसकी हंसी तुम क्या समझो
वह जो पहरो रोया है

चढते दिन के मतवाले
ढलता सूरज देखा है

रात को देखें क्या गुजरे
बाहर सूना सूना है

हम भीड़ में होकर भी
जैसे तन्हा तन्हा हैं

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