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Showing posts from December, 2020

अच्छा खासा बैठे बैठे.......

अच्छा खासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ

माँ

लबों पर उसके कभी बद्दुआ नहीं होती एक माँ ही होती है जो कभी खफा नहीं होती

तेरी यादों की कोई सरहद होती तो......

तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था खबर तो होती कि कितना सफर करना है

फकत एक मुस्कुराहट से

फकत एक मुस्कुराहट से गुलों को बांध रखा है तेरी तस्वीर देखुँ तो जैसे जमीं पर चांद रखा है

रखना हौसला वो मंज़र भी...

रखना हौसला वो मंज़र भी आएगा प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा

नींद से अब जगने लगी हूँ

नींद से अब जगने लगी हूँ चेहरे को अब मैं पढने लगीं हूँ

लफ्जों की अब जरूरत नहीं

लफ्जों की अब जरूरत नही चेहरों अब मैं पढने लगीं हूँ

शिकायतों की भी इज्जत...

शिकायतों की भी इज्जत है हर किसी से नहीं की जाती

तुम वो गलती हो

तुम वो गलती हो जिसे बार बार करने का जी करता है

इश्क़ बेशकीमती था

इश्क़ बेशकीमती था लोग बाजारूं निकलें

गाँव शहर का रफ्तार ढुढता....

गाँव शहर का रफ्तार ढुढता है और शहर गाँव का सुकून......... 

किसके लिए जन्नत बनाए....

किसके लिए जन्नत बनाया ऐ खुदा कौन इस जहाँ में गुनाहगार नहीं....