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Showing posts from October, 2020

इब्तेदा वो थी के जीने के लिए...

इब्तेदा वो थी के जीने के लिए मरता था इन्तेहा ये है के मरने की भी हसरत न रही

किसी की नाव को तूफां ने...

किसी की नाव को तूफां ने गर्क़े आबादी किया किसी की नाव किनारे इसी बहाने लगी.

कांटों को भी कुछ हक है....

कांटों का भी कुछ हक है आखिर कौन   छुड़ाए   अपना   दामन.

तुम पे मर मिटने का इरादा था...

तुम पे मर मिटने का इरादा था तुम्ही ही मिटा दोगे ये अंदाज न था.

तुमने मेरी जिंदगी को इश्तिहार बना....

तुम्हें हमदर्द समझने की हिमाकत क्या की तुमने मेरी जिंदगी को इश्तिहार बना दिया.

हुक्म पर उनके...

हुक्म पर उनके जान देता हूँ मैं नहीं जानता कजा क्या है

पता यूँ तो बताते हैं वो सबको...

पता यूँ तो बताते हैं वो सबको मकानअपना  मगर मालूम है रहते हैं वो टूटे दिल में........ 

कौन है किसी को देने वाला....

कौन है किसी को देने वाला जो दिया ऐ खुदा तुने दिया

न बुतखाने को जाते हैं न काबे में भटकते हैं

न बुतखाने को जातेहैं न काबे में भटकते हैं जहाँ तुम पांव रखते हो वहाँ हम सर पटकते हैं

जुस्तजू जिसकी थी उसको न पाया..

जुस्तजू जिसकी थी उसको तो न पाया हमने इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने.

हौसला ये है के...

हौसला ये है कि हम ढूँढ निकालेंगे उन्हें और मालूम है हमें नामों निशां कुछ भी नहीं.. 

खड़ा हूँ आज भी रोटी के......

खड़ा हूँ आज भी रोटी के चार हर्फ़ लिए सवाल ये है किताबों ने क्या दिया मुझको

जख्म तो भर जाने दे😞😭

ऐ नए दोस्त मैं समझूँगा तुझे भी अपना पहले माजी का कोई जख्म तो भर जाने दे

पता यूँ तो बताते हैं वो....

पता यूँ तो बताते हैं वो सबको अपना मगर मालूम है रहते हैं वो टूटे दिल में.

अजब है दिल का हाल

इन दिनों कुछ अजब है दिल का हाल दिखता कुछ है, ध्यान में कुछ है.... 

बेखुदी को क्या कहिए....

जिसमें हो याद भी तेरी शामिल हाय, उस बेखुदी को क्या कहिए

बस एक राह उड़ा जा.....

बस एक राह उड़ा जा रहा हूँ वहशत में खबर नहीं है खुदी क्या है बेखुदी क्या है.

बातें हमारी याद....

बातें हमारी याद रहें बातें ऐसी न सुनियेगा पढते किसी को सुनियेगा तो देर तक सर धुनिया.

मैं पुछती तो हूँ मगर...

मैं पुछती तो हूँ मगर, जवाब के लिए नहीं ये क्यों फिरी तेरी नजर, ये क्यों बदल गई हवा

दुआ गजब का काम कर आया....

असर दुआ का अजब काम जाके कर आया इधर तो हाथ उठे, वो उधर नजर आया.

तेरी सादगी पर...

मुझे जिंदगी की दुआ देने वाले हंसी आ रही है तेरी सादगी पर. 

जाऊँ किधर को मैं...

छोड़ों न रश्क के तेरे घर का नाम लूं हर एक से पूछता हूँ कि जाऊँ किधर को मैं

तुम्हें देखुँ, तुम्हें चाहुं....

तुम्हें देखुँ, तुम्हें चाहुं कि तुम्हें प्यार करूँ मैं इसी गलफत में रह गया और सामने वाला उसे ले उड़ा... 

सपने में मिली थी.....

एक अरसा हुआ.. सपने में मिली थी तुमसे और नशे में आज भी हूँ...................... 

तेरे गम के बदौलत.....

बहुत मुश्किल था वक्ते गुम रही की जद से बच जाना तेरे गम की बदौलत ही मेरा ईमान बाकी है...... 

उदासी.......

जब निकलता हूं तो कहती है उदासी मुझसे मैं अकेली हूँ अभी लौट कर घर आ जाना.

तुम्हें हमदर्द समझने की.....

तुम्हें हमदर्द समझने की हिमाकत क्या कि तुमने मेरी जिंदगी को इश्तिहार बना दिया

इसी ख्याल से दामन नहीं सिए हमने....

हमें खबर थी कि खारों से फिर उलझना है इसी ख्याल से दामन नहीं सिए हमने... 

मर जायेंगे तड़प कर.....

जाओ भी, अब न दो मुझे झूठी तसल्लिया मर जायेंगे तड़प के तुम्हारी बला से हम. 

न जाने मुहब्बत का अंजाम क्या......

न जाने मुहब्बत का अंजाम क्या है मैं अब हर तसल्ली से घबरा रहा हूँ.

सुनने वाला ही न सुन....

सुनने वाला ही न सुन पाए तो यह बात अलग है वरना सन्नाटे भी आवाज दिया करते हैं.... 

ठानी थी दिल में अब...

ठानी थी दिल में अब न मिलेंगे किसी से हम पर क्या करें कि हो गए नाराज जी से हम. 

सफर में साथ बहुत दूर ......

सफर में साथ बहुत दूर तक गए दोनों उड़ी जो धूल तो रास्ता भटक गए दोनों.

तेरी तस्वीर 😍

अब इसे होने हिलाने की इजाजत दे दे मैं अकेला तेरी तस्वीर से कब तक बोलूं

deeply love❤😘

करीब आए तो जल जाएंगे समन्दर भी कुछ ऐसी आग हमारे लबों की प्यास में है

मुहब्बत निभाया.....

मैंने सलीके से अपनी मुहब्बत निभाया तमाम उम्र में नाकामियों से काम लिया...