तस्वीर दिल में लगाते हुए

एक तस्वीर दिल से लगाते हुए
चूमते  हैं  वो  आंसू  बहाते हुए

किन ख्यालों में जाने वो खो जाते हैं
अपना अफसाना-ए-गम सुनाते हुए

सामने एक तस्वीर आ जाती है
हाथ रुक जाते हैं खत जलाते हुए

मेरे मोहसिन कि हम थक गए हैं बहुत
इन वफाओं की लाशें उठाते हुए

आज तक दर पे नजरें जमीं हैं मेरी
आतें ही होंगे वो गुनगुनाते हुए

अब हैं खामोश इतने कि लगता नहीं
क्या वही लब हैं ये चहचहाते हुए

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