तुम ही तुम

अशआर मेरे यूँ तो जमाने के लिए है कुछ शेअर फकत उनको सुनाने के लिए है अब यह भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें कुछ दर्द कलेजे को लगाने के लिए है आंखों में जो भर लोगों तो कांटों से चुभेंगे यह ख्वाब तो पलकों पर सजाने के लिए है देखूँ जो तेरे हाथ तो लगता है तेरे हाथ मन्दिर में फकत दीप जलाने के लिए है

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