गमे आशिकी
तेरे हर तीर को इस दिल में सजाया मैंने
तेरी नफरत को भी सीने से लगाया मैंने
तेरे होन्टों पे तबस्सुम रहे कायम हर दम
अपनी हस्ती को इसी गम में मिटाया मैंने
मेरी चाहत कभी रुस्वा नहीं होने पाए
इसी कारन हसीं जज्बों को दबाया मैंने
तेरी राहों में उजालों के लिए सारी उम्र
अपनी आँखों के चरागों को जलाया मैंने
तेरी दुनिया रहे आबाद सदा फूलों से
अपनी तकदीर को कान्टों से सजाया मैंने
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