जुदा कर लो राहों से राहें
हमारी दफ्तर में क्या नही है
मगर एक जुल्फ का साया नही है
जहाँ आसूदा देखी है हमने
कोई भी भीड़ में चेहरा नहीं है
सफेदी आ गई शामद लहू मे
मुझे उसने जो पहचाना नहीं है
जुदा कर लो मेरी राहों से राहें
मगर ये फैसला अच्छा नहीं है
हमारे सर की कीमत लग रही है
भला मशहूर भी होना न नहीं है
तुम्हारी याद क्या आई सरे शाम
हमें अब रात भर सोना नहीं है
हमारे हाथ में भी क्या है, बताउ
अगर सोंचे तो एक लम्हा नहीं है
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