कभी तो आओगे

कभी तो आओगे
किसी दिन ,जब मेरी आंखें भींगी होंगी
आवाज जब गले का साथ छोड़ देगी
बदन बेजान हो जाएगा
गेसूएं की घटा छिन हो जाएगी
कलेजा छलनी हो चुका होगा
तब शायद
हाँ तब शायद आओगे
....... लेकिन तब तुम आओगे ही क्यों
मुझे मरते देखने? 
मेरी लाश को आग लगाने
मुझे मुक्त करने
या खुद मुक्त होने
तुम निश्चिन्त रहो 
मैंने तुम्हे मुक्त किया
सारे बंधनों से
मुझे खाक में मिलाने से भी 
हाँ तुम्हे मुक्त किया
अब मत आना
कभी नहीं

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