अरमां लिए जिंदगी रह गई

एक हसरत थी दिल में छुपी रह गई
कितने अरमां लिए जिंदगी रह गई

बेबसी में सितम मुझपे ऐसा हुआ
आसमां छिन बस जमीं रह गई

गो समन्दर के सीने में थे ं गोताजन
फिर भी कैसी ये तशना लबी रह गई

टूटा हुआ साजे दिल तो बयां यूँ हुआ 
मेरे नगमों में अब आजिजी रह गई

मुझको कब रास आयीं ये खुशीयां
बस अधूरी सी ये जिन्दगी रह गई

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