तालिब रामपुरी

बात भी नहीं होती, हाथ भी नहीं मिलता
उससे हम नहीं मिलतें, जिससे जी नहीं मिलता

हां हमें मुहब्बत ने इस कदर नवाजा है
अब कोई शिकायत का हर्फ़ भी नहीं मिलता

आइना यह कहता है मुखतलीफ हो दुनिया से
हम में औरों जैसा क्यों आदमी न नहीं मिलता

मुरझाए मुरझाए से फूल जैसे बच्चों को
रोटी मिल भी जाए तो दूध घी नहीं मिलता

पुरखुलूस लोगों में जा कर बैठते हैं
लुफ्त हर जगह तेरा जिन्दगी नहीं मिलता

यह सबक है मेहनत से जी चुराने वालों को
एक खोटा सिक्का भी पेशगी नहीं मिलता

जिनका घर नहीं होता, क्या बताएं वह 'तालिब'
अच्छा खाने पीने को वाकई नहीं मिलता

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